Mohan Bhagwat Delhi Speech : संघ की दशा बदली है,दिशा नहीं बदलनी चाहिए - भागवत
Mohan Bhagwat Delhi Speech : संघ की दशा बदली है,दिशा नहीं बदलनी चाहिए - भागवत
जितनी भव्यता इस कार्यालय की दिखती है, उतना भव्य संघ कार्य का स्वरूप, इसकी अनुभूति इसमें मिलनी चाहिए। विरोध और उपेक्षा हमें सावधान रखते थे, अब चारों ओर अनुकूलता है, अब स्वयं ही अपने आप को सावधान रखना पड़ेगा। आज संघ की दशा बदली है, लेकिन दिशा नहीं बदलनी चाहिए। समृद्धि की आवश्यकता है, जितना आवश्यक है उतना वैभव होना भी चाहिए, लेकिन ऐसा मर्यादा में रहकर होना चाहिए। देश में संघ कार्य गति पकड़ रहा है, व्यापक हो रहा है। आज जिस पुनर्निर्मित भवन का यह प्रवेशोत्सव है उसकी भव्यता के अनुरूप ही हमें संघ कार्य का रूवरूप भव्य बनाना है और हमारे कार्य से उसकी अनुभुति होनी चाहिए। यह कार्य पूरे विश्व तक जाएगा और भारत को विश्वगुरु के पद पर आसीन करेगा, ऐसा हमें पूर्ण विश्वास है, और हम अपनी इसी देह, इन्हीं आखों से बनते देखेंगे, यह विश्वास है। लेकिन संघ के स्वयंसेवकों को इसके लिए पुरुषार्थ करना होगा। हमें इसके लिए कार्य को सतत विस्तार देना होगा।























