ऊपर वाला भी ऊपर से देखता होगा तो उसे शरम आती होगी... सोचता होगा मैंने सबसे खूबसूरत चीज बनाई थी, इंसान...नीचे देखा तो सब कीड़े बन गए...कीड़े ! ये मुसलमान का खून ये हिन्दू का खून... आ गए मेरी मौत का तमाशा देखने। इंसाफ ना ही मांगने से मिलता है और ना ही छीनने से. आज तो इंसाफ बिकता है, सिर्फ बिकता है। अपने खुद के देश में एक सुई नहीं बना सकते और हमारा देश तोड़ने का सपना देखते हैं हम भले ही ऊपरवाले को अलग- अलग नाम से पुकारते हैं... लेकिन हमारा धर्म एक है मजहब एक है... इंसानियत कुत्ते ... कुत्ते की तरह जीने की आदत पड़ी है सबको। तुम्हारे नापाक कदम आगे मत बढ़ाओ... तोड़कर तुम्हारे गले में पहना देंगे। तुमसे तो वो वैश्या अच्छी होती है जो बेचती जरूर है, मगर अपना जिस्म बेचती है... अपने देश को, अपनी आत्मा को, अपने ईमान को नहीं बेचती। मराठा मरता हैं या मारता हैं