LIVE Updates: जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन बिल लोकसभा से पास, पक्ष में 370 और विपक्ष में 70 वोट पड़े

जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन बिल संसद से पास हो गया है. आज लोकसभा ने इस बिल को मंजूरी दी. बिल के पक्ष में 370 और विपक्ष में 70 वोट पड़े. इस बिल को राज्यसभा ने सोमवार को मंजूरी दी थी.

एबीपी माझा वेब टीम Last Updated: 06 Aug 2019 07:37 PM
जम्मू और कश्मीर आरक्षण ( दूसरा संशोधन ) विधेयक 2019 को सरकार ने लोकसभा में वापस लिया. क्योंकि अनुच्छेद 370 वापस ले लिया गया है. ऐसे में इस बिल को दोबारा पास कराए जाने की कोई जरूरत नहीं है. बिल को राज्यसभा ने सोमवार को मंजूरी दी थी. इसे राज्यसभा से भी वापस लिया जाएगा. आज की कार्यवाही के साथ ही लोकसभा का मौजूदा सत्र समाप्त हो गया है.
लोकसभा ने आज जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन विधेयक 2019, अनुच्छेद 370 हटाने संबंधी सांविधिक संकल्प को मंजूरी दी. लोकसभा ने जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन विधेयक, 2019 को 70 के मुकाबले 370 मतों से स्वीकृति दी. पुनर्गठन विधेयक में जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों (जम्मू-कश्मीर और लद्दाख) में बांटने का प्रावधान किया गया है. पहले जम्मू-कश्मीर पूर्ण राज्य था.
गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि वहां वोट का अधिकार नहीं दिया गया. मानवाधिकार कहां गया. कश्मीरी पंडितों को घर छोड़ना पड़ा क्या मानवाधिकार था? अनुच्छेद 370 हटाए जाने का विरोध करने वाले दलित, महिला, आदिवासी, शिक्षा के विरोधी हैं.
अमित शाह ने कहा कि अनुच्छेद 370 के खिलाफ लड़े. जेल में रहे. अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार बनी तो उन्होंने कहा कि मुझे पूर्ण बहुमत नहीं है मैं नहीं हटा सकता. अब उन्हीं की पार्टी अनुच्छेद 370 हटा रही है.
अमित शाह ने कहा कि अनुच्छेद 370 हटने के बाद वहां इंडस्ट्री खुलेंगे, रोजगार मिलेंगे. जमीन की कीमतें बढ़ेंगी. पर्यावरण को नुकसान नहीं होगा. जम्मू-कश्मीर पृथ्वी का स्वर्ग था, है और रहेगा. उसे कोई खत्म नहीं कर सकता है.
अमित शाह ने कहा कि अनुच्छेद 370 से क्या मिला? सिर्फ तीन परिवारों का भला हुआ. अलगाववाद को बढ़ावा मिला. युवाओं का भला नहीं हुआ. अनुच्छेद 370 खत्म किये जाने से जिन्हें लगता है कि सबकुछ खत्म हो गया. मैं उनसे कहता हूं कि आप हिसाब कीजिए कि अनुच्छेद 370 से आपको क्या मिला?
अमित शाह ने कहा कि मुझे विश्वास है कि 5 साल के बाद जम्मू और कश्मीर में प्रधानमंत्री मोदी जी के नेतृत्व में जो विकास होने वाला है, वो देखकर घाटी की जनता भी कहेगी कि 370 का झुनझुना जो हमें पकड़ाया गया उससे हमारा बहुत अहित हुआ.
गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि अनुच्छेद 370 के माध्यम से जम्मू-कश्मीर के लोकतंत्र का गला घोंटा गया. तीन परिवार की वजह से अनुच्छेद 370 लागू है. जम्मू-कश्मीर में भारी भ्रष्टाचार हुआ. केंद्र ने पैसे दिए, उसका इस्तेमाल नहीं हुआ. आज भी जम्मू के गांव में गरीबी है. कहां गए पैसे?
गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में एसीबी ने कई फाइलें खोली है. जम्मू-कश्मीर बैंक की जांच चल रही है. इसी की वजह से अनुच्छेद 370 का विरोध हो रहा है. देशभर में दलित और आदिवासी को राजनीतिक आरक्षण मिलता है लेकिन जम्मू-कश्मीर में नहीं मिलता है.
अमित शाह ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में अल्पसंख्यक आयोग क्यों नहीं बनाया गया? जम्मू-कश्मीर में शिक्षा का अधिकार कानून लागू नहीं है. जम्मू-कश्मीर के बच्चों को अधिकार नहीं मिला. शिक्षकों को ट्रेनिंग नहीं मिलती है. यह सिर्फ अनुच्छेद 370 की वजह से संभव नहीं हो पाया.
अमित शाह ने कहा कि अनुच्छेद 370 जम्मू-कश्मीर को विकास से दूर रखने वाला है. महिला विरोधी है, दलित विरोधी है, आदिवासी विरोधी है, स्वास्थ्य लाभ से दूर रखने वाला है, आतंकवाद का खादपानी है. भारत का कानून जम्मू-कश्मीर में लागू नहीं होता है. देश भर में शादी की उम्र तय हो गई, लेकिन जम्मू-कश्मीर में लागू नहीं हुआ.
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि हम हुर्रियत के साथ चर्चा नहीं करना चाहते, अगर घाटी के लोगों में आशंका है तो जरूर उनसे चर्चा करेंगे, उन्हें गले लगाएंगे. पूरा हिंदुस्तान उन्हें प्यार से रखेगा. अगर उनके मन में कोई आशंका है तो जरूर चर्चा करेंगे, हमें कोई आपत्ति नहीं है.
गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि 1989 से लेकर आज तक हजारों लोग मारे गए. क्या उसी रास्ते पर चलना है. शांति आए यह प्रयास नहीं करेंगे? जो लोग मारे गए कौन जिम्मेदार है? देशहित के लिए सोचना होगा. लद्दाख की हालत को सदन के सामने रखा गया. हमारे एक युवा साथी ने रखा. ओवैसी जी ने कहा कि सदन ऐतिहासिक भूल करने जा रहा है. मैं कहता हूं कि ऐतिहासिक सुधार करने जा रहा है.
अमित शाह ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के लिए बनाया गया कानून कैसे सांप्रदायिक है? वहां सिख और जैन रहते हैं. वहां अल्पसंख्यक आयोग तक नहीं बनाया गया. यह सिर्फ अनुच्छेद 370 की वजह से हुआ.
गृहमंत्री ने कहा कि 1989 से 1995 तक जम्मू कश्मीर में आतंकवाद इतना बढ़ा की वहां सालों तक कर्फ्यू लगाया गया. वहां खाना-पीना तो छोड़िए ब्रेड-बटर तक नहीं मिलता था. हमने जम्मू-कश्मीर में सुरक्षाबल इसलिए रखे हैं कि अगर वहां की कानून व्यवस्था को बिगाड़ना भी चाहे तो उसको मौका नहीं मिलेगा.
अमित शाह ने कहा कि लद्दाख के लोग केंद्र शासित प्रदेश की मांग कर रहे थे. जम्मू-कश्मीर को लेकर स्थिति सामान्य होने पर पुनर्विचार किया जाएगा. जम्मू-कश्मीर को दो हिस्सों में बांटकर जम्मू-कश्मीर और लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया है. इसी से संबंधित बिल पर लोकसभा में चर्चा हो रही है.
अमित शाह ने कहा कि पंडित नेहरू ने सेना को पूरी छूट दी होती तो पीओके भारत का हिस्सा होता. जब भारत-पाकिस्तान ने UN के प्रस्ताव को स्वीकार किया तब किसी भी देश की सेना को सीमाओं के उल्लंघन का अधिकार नहीं था. लेकिन 1965 में पाकिस्तान की ओर से सीमा का उल्लंघन करने पर यह प्रस्ताव खारिज हो गया था.
गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि हम आपके दबाव में नहीं आएंगे. वहां से सुरक्षाबलों को नहीं हटाया जाएगा. कितनी चर्चा करेंगे, किससे चर्चा करें. जो पाकिस्तान से प्रेरणा लेते हैं उससे चर्चा करें. हम हुर्रियत से चर्चा नहीं करेंगे. हम सभी को प्यार से रखेंगे. कुछ फैसले लेने पड़ते हैं.
अमित शाह ने कहा कि 370 हटाना इसलिए ज़रूरी है क्योंकि वह देश की संसद के महत्व को कम करता है. इस देश का कानून वहां तक नहीं पहुंचता है वहां के लोगों के मन में अलगाववाद को बढ़ाता है.
अमित शाह ने कहा कि अधीर रंजन चौधरी ने यूएन की बात की, मैं पूछता हूं कि यूएन में आखिर कौन ले गया? मैं साफ साफ कहता हूं कि अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 371 की तुलना नहीं की जा सकती है. मैं आश्वस्त करता चाहता हूं कि अनुच्छेद 371 खत्म नहीं किया जाएगा.
जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन विधेयक 2019 और जम्मू और कश्मीर आरक्षण ( दूसरा संशोधन ) विधेयक 2019 पर चर्चा का जवाब देते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि भारत की सीमाओं के अंदर कोई भी निर्णय लेने के लिए भारत के संसद के दोनों सदनों को पूरा संवैधानिक अधिकार है.
गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि देश का बच्चा-बच्चा बोलता है कि कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है. हम ये क्यों नहीं बोलते कि यूपी देश का अभिन्न अंग है, तमिलनाडु देश का अभिन्न अंग है. ऐसा इसलिए है क्योंकि 370 ने इस देश और दुनिया के मन में एक शंका पैदा कर दी थी कि कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है या नहीं. यहां उपस्थित एक दो लोगों के अलावा किसी ने अनुच्छेद 370 हटाने का विरोध नहीं किया. वो भी चाहते हैं कि 370 हट जाए, लेकिन उनके सामने वोटबैंक का प्रश्न आ जाता है.
अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी को बधाई देना चाहता हूं कि उनकी वजह से ये संभव हुआ. अनुच्छेद 370 भारत और कश्मीर को जोड़ने से रोकती है. अगर सदन की इच्छा हुई तो आज से यह बाधा दूर हो जाएगी. कुछ लोग चाहते हैं कि धारा 370 हटे, लेकिन वोट बैंक उनके आड़े आ जाता है. आज फिर से एक बार मेरे नेता और देश के प्रधानमंत्री मोदी की दृढ़ राजनीतिक इच्छा शक्ति को नमन करना चाहता हूं.
गृहमंत्री अमित शाह जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन बिल पर चर्चा का लोकसभा में जवाब दे रहे हैं. उन्होंने कहा कि 70 साल की टीस समाप्त हो रही है. केंद्र शासित राज्यों का सवाल है तो स्थिति सामान्य होते ही पूर्ण राज्य का दर्जा दे दिया जाएगा. आपको बता दें कि जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटा गया है.
सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस कार्य समिति (CWC) की बैठक आज शाम होगी. इस बैठक में कश्मीर मुद्दे पर चर्चा की संभावना है. आपको बता दें कि कश्मीर मुद्दे पर पार्टी में राय बंटी है.
कश्मीर के मसले पर लोकसभा में कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि पूरे देश की सहमति लेकर आए हैं. उन्होंने कहा कि धारा 370 में अगर तिरंगा फहराने पर रोक लगती है तो इसे हटाया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार निरोधक कानून जैसे 106 प्रावधानों को कश्मीर में लागू किया जाएगा जो अब तक वहां लागू नहीं हुए थे.
अमित शाह ने मनीष तिवारी को टोकते हुए कहा- सरदार पटेल के योगदान को कैसे भुला सकते हैं, आज कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है तो उसमें सरदार पटेल का योगदान है. कांग्रेस पार्टी की ओर से चर्चा की शुरुआत करने वालों ने यह तो साफ किया ही नहीं वो धारा 370 के पक्ष में हैं या खिलाफ में हैं. इस पर मनीष तिवारी ने कहा- हर चीज काली और सेफद नहीं होती, शायद गृहमंत्री कुछ और सोच रहे थे, उन्होंने मेरी बात को नहीं सुना. मैंने कहा कि जम्मू कश्मीर विधानसभा की अनुमति के बिना आप धारा 370 को खारिज नहीं कर सकते अगर आप ऐसा करना चाहते हैं तो यह संवैधानिक त्रासदी है.
मनीष तिवारी ने कहा- जम्मू कश्मीर का अलग संविधान है जो 26 जनवरी 1957 को लागू हुआ. आपने प्रदेश को दो हिस्सों में बांट दिया लेकिन उस संविधान का क्या हुआ ? क्या सरकार इसके लिए भी अलग से बिल लेकर आएगी, सरकार ने इस विधेयक को लाने से पहले कानूनी पहलुओं पर विचार ही नहीं किया. हमने कई बार देखा है कि केंद्र शासित प्रदेश को पूर्ण राज्य में बदला जाए लेकिन ये पहली बार है कि राज्य को केंद्र शासित प्रदेश में बदला गया है.
कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने कहा- संविधान में सिर्फ धारा 370 नहीं है, धारा 370 a से लेकर I तक है जो नगालैंड, असम, आंध्रा प्रदेश और सिक्किम को विशेष अधिकार देती है. जब आज आप धारा 370 खत्म कर रहे हैं तो आप उन प्रदेशों को क्या संदेश दे रहे हैं. आप धारा 370 इस तरह खत्म कर सकते हैं तो 371 भी खत्म कर सकते हैं. पूर्वोत्तर के राज्यों को अलग अलग सरकारों ने उन्हें विशेष अधिकार दिए हैं.
कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने कहा- आंध्र प्रदेश और तेलंगाना बनने से पहले आंध्र प्रदेश की विधानसभा से चर्चा हुई थी. यूपीए की सरकार ने कोई संवैधानिक उल्लंघन नहीं किया था. 1952 से लेकर जब जब नए राज्य बनाए गए हैं या किसी राज्य की सीमा बदली गई है, वो विधानसभा की चर्चा के बिना नहीं हुआ है.
कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने कहा- किसी भी राज्य की सीमा तय करने से पहले यह जरूरी है कि आप उस राज्य की विधानसभा से राय मशविरा करेंगे. और ये प्रवाधान संविधान में इसलिए किया गया क्योंकि उस प्रदेश के लोगों को अपनी राय रखने का मौका मिले. आज जम्मू कश्मीर में विधानसभा भंग है और संसद से कहा जा रहा है कि आप अपने आप से राय मशविरा करके जम्मू कश्मीर का भविष्य तय करें. जो सदन में आज हो रहा है वो स्पष्ट रूप से संवैधानिक त्रासदी है. यह संघीय ढांचे के ऊपर इससे बड़ा आघात नहीं हो सकता, साथ ही आज अगर जूनागढ़, हैदराबाद और जम्मू कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है तो उसके पीछे पंडित नेहरू ही वजह थे.
अमित शाह ने लोकसभा में बिल और प्रस्ताव पेश करने के बाद कहा- मैं यहां एक एक सदस्य की बात का जवाब देने के लिए तैयार हूं. मैं सबकी बात सुनूंगा और फिर जवाब दूंगा लेकिन इस पर चर्चा शांति से हो.
अमित शाह ने कहा- आज के प्रस्ताव और बिल भारत के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखे जाएंगे और यह महान सदन इस पर विचार करने जा रहा है. राष्ट्रपति ने कल एक संवैधानिक आदेश जारी किया है जिसके तहत भारत के संविधान के सारे अनुबंध जम्मू कश्मीर में लागू होंगे. साथ ही जम्मू कश्मीर को मिलने वाले विशेष अधिकार भी नहीं रहेंगे और पुनर्गठन का बिल भी लेकर आया हूं.
लोकसभा में अमित शाह ने कहा- कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है, कश्मीर पर संसद ही सर्वोच्च है. कश्मीर को लेकर नियम कानून और संविधान में बदलाव से कोई नहीं रोक सकता. रही बात कश्मीर की तो जब मैं जम्मू कश्मीर कहता हूं तो उसमें पाक अधिकृत कश्मीर और अक्साई चीन भी शामिल है.भारत का हिस्सा है. कश्मीर के लिए हम जान दे देंगे क्या बात करते हैं आप. क्या कांग्रेस PoK को भारत का हिस्सा नहीं मानती है?

कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि आपने रातों रात नियम तय किए, नियम तोड़े गए. इसके बाद अमित शाह ने कहा कि इस बात को सामान्य तौर आरोप ना लगाएं, वो बताएं कि किस नियम का उल्लंघन हुआ है. इसके बाद अधीर रंजन चौधरी ये नहीं बता सके कि कौन सा नियम तोड़ा गया. इसके बाद धीर रंजन ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र के लोग 1948 से वहां पर मॉनीटरिंग करते हैं. इस पर अमित शाह ने आपत्ति दर्ज करते हुए कहा कि क्या ये कांग्रेस का स्टैंड है? क्या कांग्रेस मानती है कि संयुक्त राष्ट्र जम्मू कश्मीर की मॉनीटरिंग कर सकता है.
राज्यसभा से मंजूरी के बाद गृहमंत्री अमित शाह ने लोकसभा में पेश अनुच्छेद 370 खत्म करने वाला संकल्प किया. लोकसभा में बहुमत के चलते प्रस्ताव पास होना तय है. इसके साथ ही अमित शाह ने जम्मू कश्मीर पुनर्गठन विधेयक और जम्मू कश्मीर आरक्षण संशोधन विधेयक भी पेश किया.
लोकसभा की कार्यवाही शुरू हो गई है, गृहमंत्री अमित शाह भी लोकसभा पहुंच गए हैं. थोड़ी देर में अमित शाह जम्मू कश्मीर पुनर्गठन बिल लोकसभा में पेश करेंगे. इसके साथ ही अनुच्छेद 370 हटाने का प्रस्ताव भी लोकसभा में पेश किया जाएगा.
जम्मू कश्मीर के मुद्दे पर कांग्रेस ने आज शाम वर्किंग कमिटी की बैठक बुलाई है. अगर आज लोकसभा देर तक चली तो सीडब्ल्यूसी की बैठक कल के लिए टल भी सकती है. कांग्रेस पार्टी इसपर सहमति और असहमति को लेकर दो हिस्सों में बंटी हुई दिख रही है. पार्टी के कुछ नेता इसका समर्थन कर रहे हैं तो वहीं कुछ नेताओं ने इसे लोकतंत्र की भावना के खिलाफ बताया है. हरियाणा के दीपेंद्र हुड्डा, महाराष्ट्र के मिलिंद देवड़ा से लेकर सीनियर कांग्रेसी जनार्दन द्विवेदी तक कई नेताओं ने अनुच्छेद 370 को हटाने का समर्थन किया है. वहीं पार्टी के सीनियर नेता गुलाम नबी आजाद ने इसे लोकतंत्र की हत्या करारा दिया.

पार्श्वभूमी

नई दिल्ली: राज्यसभा के बाद अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू-कश्मीर को मिलने वाले विशेष राज्य के दर्जे को खत्म करने वाला प्रस्ताव आज लोकसभा में पेश हो सकता है. लोकसभा से पास होते ही कश्मीर भी भारत के दूसरे राज्यों की तरह बन जाएगा. नंबर के आधार पर लगता नहीं कि लोकसभा में सरकार को कोई परेशानी होने वाली है. एनडीए अपने दम पर बिल को आसानी से पास करा सकती है. लोकसभा से पारित होने के बाद औपचारिक तौर पर जम्मू कश्मीर से धारा 370 खत्म हो जाएगी और जम्मू कश्मीर असल मायने में भारत का अभिन्न अंग बन जाएगा. लोकसभा से पारित होने के बाद औपचारिक तौर पर जम्मू कश्मीर से धारा 370 खत्म हो जाएगी.


 


कश्मीरी पंडितों ने क्या कहा?


 


कुल मिलाकर लोकसभा में आज दो प्रस्ताव और दो बिलों पर चर्चा होगी, पहला बिल जम्मू कश्मीर में आर्थिक तौर पर पिछड़े लोगों के लिए 10 फ़ीसदी आरक्षण जबकि दूसरा बिल जम्मू कश्मीर को दो भागों में बांटने वाला बिल है. इससे पहले सोमवार को जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों के तौर पर पुनर्गठित करने के प्रस्ताव वाले विधेयक को राज्यसभा से मंजूरी मिल गई. उच्च सदन ने इस विधेयक को पारित कर दिया. इसके अलावा जम्मू-कश्मीर में सामान्य वर्ग के गरीबों को 10 पर्सेंट आरक्षण वाला विधेयक भी पास हो गया है. सुबह 11 बजे ही लोकसभा में कश्मीर से जुड़े प्रस्तावों और बिलों पर चर्चा शुरू हो जाएगी.


 


In Depth: अनुच्छेद 370 पर फैसले के बाद अब विशेष राज्य नहीं रहा जम्मू-कश्मीर, यहां पढ़ें हर सवाल का जवाब


 


सोमवार को सुबह 11 के करीब गृह मंत्री अमित शाह ने बिल को राज्यसभा में पेश किया और शाम को वोटिंग में बिल पास हो गया. बता दें कि विशेष राज्य का दर्जा खत्म होने के साथ ही जम्मू-कश्मीर अनुच्छेद 35 (A) भी समाप्त हो गया. इस तरह से कुछ दिनों से जम्मू-कश्मीर को लेकर जो चर्चाएं और अटकलें लगाई जा रही थीं उसपर पूरी तरह से विराम लग गया. अब जम्मू-कश्मीर दो राज्यों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बंट जाएगा. ये दोनों केंद्र शासित राज्य होंगे. यानी अब केंद्र शासित राज्यों की संख्या सात से बढ़कर नौ हो गई.


 


फैसले के बाद सुरक्षा को लेकर कैसी तैयारियां?


 


राज्यसभा में बिल पेश होने के बाद वोटिंग के दौरान बिल के पक्ष में 125 वोट तो विपक्ष में सिर्फ 61 वोट पड़े. कांग्रेस के साथ समाजवादी पार्टी, आरजेडी, डीएमके, जेडीयू, मुस्लिम लीग और तृणमूल कांग्रेस, सीपीआई-सीपीएम जैसी विपक्षी पार्टियों ने बिल का का विरोध किया. यावती की बीएसपी ने अपना समर्थन दिया. इसके साथ ही दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इसका समर्थन किया. वहीं एआईएडीएमके, वायएसआर कांग्रेस, बीजू जनता दल, अकाली दल, लोक जनशक्ति पार्टी और दूसरी सहयोगी पार्टियां सरकार के साथ में खड़े नजर आए.


 


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सरकार के फैसले के बाद अब क्या होगा?
पहले जम्मू-कश्मीर को अनुच्छेद 370 के तहत विशेष राज्य का दर्जा मिला हुआ था लेकिन अब ये खत्म हो गया है. यानी देश का कोई भी नागरिक जम्मू-कश्मीर में सरकारी नौकरी पा सकता है. जम्मू-कश्मीर में वोट का अधिकार सिर्फ वहां के स्थाई नागरिकों को था, अब दूसरे राज्य के लोग यहां वोट कर सकेंगे. चुनाव में उम्मीदवार भी बन सकते हैं. देश का कोई भी नागरिक जम्मू-कश्मीर में सरकारी नौकरी पा सकता है. स्कॉलरशिप हासिल कर सकता है. दूसरे राज्यों के लोग जम्मू कश्मीर में बिजनेस कर सकेंगे. राज्य की विधानसभा का कार्यकाल अब पांच साल का होगा, जो पहले छह साल का था. लद्दाख में विधानसभा नहीं होगी, लेफ्टिनेंट गवर्नर होगा.


 


क्या है विशेषज्ञों की राय?
संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप ने कहा कि आर्टिकिल 370 पूरी तरह से खत्म हो गया है ये कहना बिल्कुल गलत होगा. आर्टिकिल 370 (1) बिल्कुल कायम है. ये संविधान का अंग है. क्लॉज दो और तीन को हटाया गया है. वहीं संविधान विशेषज्ञ डी के दुबे ने बताया, "धारा 370 को लेकर जो संशोधन आया है इसे 'संवैधानिक आदेश 272' कहा गया है. इसमें धारा 370 को खत्म नहीं किया है. ये 'क्लाज़ वन' के साथ जीवित रहेगी, लेकिन 'क्लाज़ टू और थ्री' को खत्म कर दिया गया है. भारत का संविधान वहां पर पूरा का पूरा लागू कर दिया गया है.

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