नवी दिल्ली : चिंगारीका का खेल अक्सर बुरा होता है, असं म्हणत केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिहांनी पाकिस्तानवर आगपाखड केली. काश्मीरात धुमसलेल्या हिंसाचारावर राजनाथ यांनी आज लोकसभेत निवेदन दिलं.

 
माजी पंतप्रधान वाजपेयींच्या कवितांचा आधार घेत राजनाथ सिंह यांनी पाकिस्तानला इशाराही दिला. 'चिंगारीका का खेल अक्सर बुरा होता है, औरों के घर आग लगाने का जो सपना वह अपने की घर मे सदा खरा होता है' या शब्दात राजनाथ यांनी पाकला सुनावलं. काश्मीरमधील
परिस्थिती सुधारण्यासाठी सर्वांनी एकत्र येण्याचं आवाहनही त्यांनी केलं.

 
भारतात अस्थैर्य निर्माण करण्याचा प्रयत्न शेजारी देशांकडून होत आहे. भारतात जर कुठले दहशतवादी असतील, तर ते पाकिस्तान पुरस्कृत आहेत, हे निश्चित, असंही राजनाथ म्हणाले.
 

काश्मीरात हिजबूल मुजाहिद्दीनचा दहशतवादी बुरहान वाणीला भारतीय जवानांनी एका चकमकीत ठार केलं. मात्र त्याच्या खात्मानंतर फुटिरतवाद्यांनी काश्मीरमध्ये बंद पाळत हिंसाचारही केला. यामध्ये अनेकांचा मृत्यू झाला आहे.

 


अटल बिहारी वाजपेयी यांची संपूर्ण कविता :


एक नहीं , दो नहीं , करो बीसों समझौते ,
पर स्वतंत्र भारत का मस्तक नहीं झुकेगा ,
अगण्डित बलिदानो से अर्जित यह स्वतन्त्रता,
अश्रुशोधि शोडित से सिंचित यह स्वतन्त्रता,
त्याग,तेज,तप,बल से रक्षित यह स्वतन्त्रता,
दुखी मनुजता के हित अर्पित यह स्वतन्त्रता,
इसे मिटाने की साजिश करने वालों से कह दो,
चिंगारी का खेल बुरा होता है,
औरों के घर आग लगाने का जो सपना
वह अपने की घर मे सदा खरा होता है,
अपने ही हाथो तुम अपनी कब्र न खोदो,
अपने पैरों आप कुलाहड़ी नहीं चलाओ,
ओ नादान पड़ोसी अपनी आंखे खोलो,
आज़ादी अनमोल,ना इसका मोल लगाओ,
पर तुम क्या जानो आज़ादी क्या होती है,
तुम्हें मुफ्त मे मिली,ना कीमत गयी चुकाई,
अंग्रेज़ो के बल पर दो टुकड़े पाये हैं
माँ को खंडित करते तुमको लाज ना आयी,
अमरीकी शस्त्रों से अपनी आज़ादी को,
दुनिया मे कायम रख लोगे
यह मत समझो,
दस,बीस अरब डालर लेकर
आने वाली बरबादी से तुम बच लोगे
यह मत समझो,
धमकी जिहाद के नारो से,हथियारो से,
कश्मीर कभी हथिया लोगे
यह मत समझो,
हमलो से,अत्याचारो से,संहारो से,
भारत का शीश झुका लोगे
यह मत समझो,
जब तक गंगा की धार, सिंधु मे ज्वार,
अग्नि मे जलन, सूर्य मे तपन शेष
स्वातंत्र समर की वेदी पर,
अर्पित होगे अगंत जीवन,यौवन अशेष,
अमरीका क्या,संसार भले ही हो विरुद्ध
कश्मीर पर भारत का ध्वज नहीं झुकेगा,
एक नहीं , दो नहीं , करो बीसों समझौते,
पर स्वतंत्र भारत का निश्चय नहीं रुकेगा

- अटल बिहारी वाजपेयी

 

 

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