कर्नाटक संकट: सीएम कुमारस्वामी ने कहा- मैं ट्रस्ट वोट के लिए तैयार हूं
Karnataka crisis: कर्नाटक में सियासी हंगामा जारी है. इस बीच सूबे के मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने कहा है कि वे ट्रस्ट वोट के लिए तैयार हैं.
एबीपी माझा वेब टीम
Last Updated:
12 Jul 2019 06:52 PM
कर्नाटक के मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वारी के ट्रस्ट वोट वाले बयान के बाद बीजेपी ने अपने विधायकों को होटल में रखने का फैसला किया है. बीजेपी आशंका जता रही है कि सत्तारूढ़ दल कांग्रेस और जेडीएस उसके विधायकों से संपर्क साध सकती है.
कर्नाटक में जारी सियासी संकट के बीच मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने कहा है कि मैं ट्रस्ट वोट के लिए तैयार हूं. उन्होंने कहा कि मैं हर चीज के लिए तैयार हूं, सत्ता से चिपकने के लिए यहां नहीं हूं.
सभी पक्षों की दलीलें सुनने बाद चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने फैसला सुनाया. सीजेआई ने कहा- हमने सबको सुना, याचिका के सुनवाई लायक होने पर सवाल उठाए गए हैं. सवाल ये है कि इस्तीफे के बाद अयोग्यता की कार्रवाई शुरू होनी चाहिए. मंगलवार को अगली सुनवाई होगी तब तक यथास्थिति कायम रखी जाए. यानी न इस्तीफे पर फैसला, न अयोग्यता पर फैसला होगा.
बाग विधायकों के वकील मुकुल रोहतगी ने कहा- 2 विधायकों ने अयोग्यता की कार्रवाई लंबित रहते इस्तीफा दिया लेकिन 8 विधायकों के इस्तीफे के बाद अयोग्यता की कार्रवाई शुरू हुई. इसके बाद चीफ जस्टिस ने सवाल किया कि आप जो कह रहे हैं उसका प्रमाण दे सकते हैं? अभी नहीं, 1 दिन का ही समय था.
कुमारस्वामी की ओर से राजीव धवन ने कहा- विधायक जिस जनमत से चुने गए, उसके खिलाफ काम कर रहे हैं. ऐसे में स्पीकर का क्या फ़र्ज़ है? यही कि मामले की जांच कर फैसला लें. ये राजनीतिक मकसद से दाखिल याचिका है. इस पर विचार नहीं करना चाहिए. विधायकों की याचिका ऐसी है जैसे स्पीकर का दफ्तर एक पोस्ट ऑफिस है. चिट्ठी मिली तुरंत फैसला लो. स्पीकर कैसे काम करें, इसका निर्देश कोर्ट नहीं दे सकता.
सीएम कुमारस्वामी की तरफ से वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने पक्ष रखा. उन्होंने कहा- यहां सरकार के बहुमत खोने, काम न करने की गलत बातें कह रही हैं. सरकार पर भ्रष्टाचार के गलत आरोप लगाए जा रहे हैं. कांग्रेस के कुछ सदस्यों ने दुर्भावना से काम किया. उनकी पार्टी ने स्पीकर के सामने उन्हें अयोग्य ठहराने की याचिका दाखिल की. इसमें कोर्ट से दखल की मांग करना कहां तक सही है?
सिंघवी ने कहा- हमारा सवाल ये भी है कि क्या स्पीकर को तय सीमा में फैसला लेने का आदेश दिया जा सकता है? स्पीकर को कानूनन अधिकार है कि वो देखें कि इस्तीफा दबाव में तो नहीं दिया गया.
विधायकों की याचिका में कहीं नहीं बताया गया है स्पीकर ने कौन से नियम का उल्लंघन किया गया है
बागी विधायकों के वकील मुकुल रोहतगी ने कहा- आज विधानसभा का सत्र शुरू हो गया है. पार्टी ने सदन में रह कर बजट के पक्ष में वोट का व्हिप जारी कर दिया है. कोशिश है कि इसकी आड़ में विधायकों को अयोग्य ठहराया दिया जाए. कभी कहते हैं कि सोमवार तक समय लगेगा. कभी कहते हैं कोर्ट मुझे आदेश नहीं दे सकता. दो तरह की बात कह रहे हैं.
स्पीकर के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा- नियमों के मुताबिक इस्तीफा पर फैसला लेने में समय लगता है. दो विधायकों पर अयोग्यता की कार्रवाई फरवरी से लंबित है. लोग मंत्री बनने की उम्मीद में स्पीकर की निष्पक्ष कार्रवाई पर सवाल उठा रहे हैं. कोर्ट को गुमराह किया जा रहा है.
अभिषेक मनु सिंघवी की दलील पर चीफ जस्टिस ने कहा- अयोग्यता की कर्रवाई तो 2 पर ही शुरू हुई थी न? 8 पर तो इस्तीफे के बाद कार्रवाई शुरू हुई है. सिंघवी ने कहा- इस्तीफे व्यक्तिगत रूप से नहीं दिए गए. लेकिन ऐसा दिखाया जा रहा है जैसे स्पीकर फरार हो गए हों.
कर्नाटक मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनाई शुरू हो गई है. विधायकों के वकील मुकुल रोहतगी ने कोर्ट में कहा कि स्पीकर विधायकों से मिले, कोई फैसला नहीं लिया। लेकिन प्रेस कांफ्रेंस कर कहा कि विधायकों को सुप्रीम कोर्ट नहीं जाना चाहिए था. स्पीकर कह रहे हैं कि सुप्रीम कोर्ट मुझे आदेश नहीं दे सकता कि मैं क्या फैसला लूं। लेकिन कोर्ट ने तो सिर्फ यही कहा था कि वो फैसला लें. स्पीकर कह रहे हैं कि मुझे अध्ययन करना होगा. एक लाइन के इस्तीफों में क्या पढ़ना है उन्हें?
इस्तीफे को स्वीकार ना करने के स्पीकर के फैसले के खिलाफ कांग्रेस के बागी विधायकों की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट थोड़ी देर में सुनवाई करेगा. बता दें कि कल सुप्रीम कोर्ट ने विधायकों को स्पीकर से मुलाकात कर इस्तीफे पर स्थिति स्पष्ट करने के लिए कहा था. कोर्ट ने स्पीकर को फैसला लेने के लिए एक दिन का समय दिया था. कोर्ट ने कहा था कि स्पीकर अगर फैसला नहीं लेते तो फिर कोर्ट कदम उठाएगा.
पार्श्वभूमी
बेंगलुरु: कर्नाटक में चल रहे सियासी नाटक के बीच 10 बागी विधायक गुरुवार को मुंबई से बेंगलुरू पहुंचे. भारी सुरक्षा के बीच अपना इस्तीफा कन्फर्म करने के लिए सभी ने विधानसभा के स्पीकर केआर रमेश कुमार से मुलाकात की. इससे पहले इन विधायकों का इस्तीफा स्पीकर ने गलत फॉर्मेट बताकर अस्वीकार कर दिया था. जिसके बाद विधायकों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया.
कांग्रेस और जेडीएस के 10 बागी विधायकों की एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि स्पीकर को उनके इस्तीफों पर आज (गुरुवार) ही फैसला लेना होगा. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने बागी विधायकों से कहा है कि वे आज शाम छह बजे तक स्पीकर के सामने पेश हों.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस्तीफे पर स्पीकर को आदेश जारी करेंगे. शुक्रवार को आदेश की कॉपी सुप्रीम कोर्ट में जमा होगी. बागी विधायकों ने कर्नाटक विधानसभा अध्यक्ष पर उनका इस्तीफा जानबूझकर स्वीकार नहीं करने का आरोप लगाया है.
विधानसभा अध्यक्ष भी गए SC
हालांकि कोर्ट के आदेश के बाद विधानसभा अध्यक्ष भी सुप्रीम कोर्ट पहुंचे. स्पीकर ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करके और वक्त की मांग की है. कोर्ट में दाखिल याचिका में कहा गया है कि उनका संवैधानिक कर्तव्य और विधानसभा नियम के मुताबिक वो ये सत्यापित करने के लिए बाध्य हैं कि विधायकों के इस्तीफे स्वैच्छिक या बिना डर के हैं या नहीं. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें वक्त नहीं दिया और उनकी अर्जी पर जल्द सुनवाई से इनकार कर दिया.
आज सुप्रीम कोर्ट बागी विधायकों की याचिका और स्पीकर की अर्जी पर दोनों पक्षों को सुनेग. वहीं आज से शुरू होने वाले कर्नाटक विधानसभा के लिए कांग्रेस ने व्हिप जारी कर दिया है. जो विधायक सत्र में मौजूद नहीं रहेंगे उन्हें अयोग्य करार करने की बात कही है. फिलहाल कर्नाटक का ये नाटक खत्म होता नजर नहीं आ रहा है और लड़ाई एक बार फिर न्यायपालिका और विधायिका के बीच फंसती दिख रही है
वापस मुंबई लौटे बागी विधायक
सभी 10 विधायक स्पीकर से मिलने के बाद मुंबई लौट गए हैं. साफ है कि विधानसभा सत्र में कांग्रेस के 13 विधायक और 3 जेडीएस विधायक समेत 2 निर्दलीय जिन्होंने बीजेपी को समर्थन दिया है वे हाज़िर नहीं होंगे. साथ ही कांग्रेस के विधायक दल की बैठक में 6 विधायक मौजूद नहीं थे जिनमें से 2 ने इस्तीफा दे दिया है. कल बाकी 4 पर नजर रहेगी कि आखिर इस्तीफों के सिलसिले के बीच अब ये विधायक पहुंचते हैं या नहीं. साफ है कि कर्नाटक का यह नाटक फिलहाल खत्म नहीं होगा.