अंतर्राष्ट्रीय अदालत में भारत की बड़ी जीतः ICJ ने कुलभूषण जाधव की फांसी पर रोक लगाई
इस बात की पुख्ता खबर आ गई है कि कुलभूषण जाधव की फांसी पर आईसीजे ने रोक लगा दी है. भारत को कॉन्सुलर एक्सेस भी मिलेगा. 15-1 से भारत के पक्ष में ये फैसला आया है.
हेग की अंतर्राष्ट्रीय अदालत में कुलभूषण जाधव पर करीब 6.30 बजे फैसला पढ़ा जाना शुरू होगा. करीब एक से डेढ़ घण्टे तक फैसला पढ़ा जाएगा. फैसले के आखिर में ऑपरेटिव हिस्सा होगा. इसमें ही अदालत अपना फैसला सुनाएगी और साथ ही स्पष्ट होगा कि किन मुद्दों पर जज एकमत हैं. जज के फैसले बहुमत से प्रभावी होंगे.
द हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय न्याय अदालत (आईसीजे) भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव से संबंधित मामले में आज अपना फैसला सुनाएगी. फैसला भारतीय समयानुसार आज शाम 6.30 बजे आएगा. हेग के 'पीस पैलेस' में 15+1(पाकिस्तानी एडहॉक जज तसद्दुक हसन जिलानी) यानि 16 जजों की बैंच बैठेगी. आईसीजे अध्यक्ष अब्दुलकावी अहमद यूसुफ अदालत के फैसले की मुख्य बातें पढ़कर सुनाएंगे.
पार्श्वभूमी
नई दिल्लीः तीन सालों से पाकिस्तानी जेल में बंद भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव पर आज हेग स्थित इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस यानी अंतरराष्ट्रीय अदालत में फैसला आएगा. पाकिस्तानी मिलिट्री कोर्ट द्वारा 10 अप्रैल 2017 को कुलभूषण जाधव को सज़ा-ए-मौत सुनाए जाने के बाद भारत ने 8 मई 2017 को आईसीजे का दरवाजा खटखटाया था. आईसीजे ने भारत की अंतिरम राहत की अपील के हक में फैसला देते हुए पाकिस्तान को इस मामले में फैसला आने तक कुलभूषण जाधव की फांसी पर रोक लगाने का आदेश दिया था.
इससे पहले ICJ में 18-21 फरवरी 2019 के बीच चली सुनवाई में दोनों पक्षों ने अपनी अपनी दलील रखी थी. भारत का तर्क था कि कुलभूषण जाधव को 2016 में पकड़ने के बाद से उसके लिए लगातार कॉन्सुलर सम्पर्क की इजाजत न देकर पाकिस्तान ने वियना संधि 1963 के आर्टिकल 36 का उल्लंघन किया है. भारत ने मई 2017 में इसी दलील के साथ मई 2017 में अंतर्राष्ट्रीय अदालत का रुख किया था.
क्या है मामला
पाकिस्तान ने मार्च 2016 में कुलभूषण जाधव को गिरफ्तार कर भारतीय नौसेना का अधिकारी व खुफिया एजेंसी रॉ का एजेंट बताते हुए गिरफ्तार किया था. भारत सरकार के अनुसार पाकिस्तान ने निजी कारोबार कर रहे इस रिटायर्ड नौसेना अधिकारी को ईरान से अगवा कर गिरफ्तार किया. इसके बाद से पाकिस्तान जाधव को जासूस बताते हुए लगातार भारत की कॉन्सुलर सम्पर्क की मांग को खारिज कर रहा है. साथ ही अप्रैल 2017 में पाकिस्तान की सैन्य अदालत ने जाधव के खिलाफ सज़ा-ए-मौत का फरमान सुनाया. पूरे मामले में पाक सार्वजनिक तौर पर सबूत के नाम पर केवल जाधव के इकबालिया बयान के कुछ वीडियो ही दिखा पाया है जो हिरासत में रिकॉर्ड किए गए हैं.
पाकिस्तानी सैन्य अदालत के फैसले के बाद मामले पर भारत ने मई 2017 में जाधव के मृत्युदंड पर रोक लगाने की अंतरिम राहत अपील के साथ अंतरराष्ट्रीय अदालत का दरवाजा खटखटाया था. साथ ही जाधव के लिए कॉन्सुलर सम्पर्क से इनकार के पाकिस्तानी फैसले को भारत ने वियना संधि 1963 के उल्लंघन बताते हुए अदालत से इस मामले पर सुनवाई कर फैसला देने को कहा. मई 2017 में दोनों पक्षों की अपील सुनने के बाद अदालत ने भारत के हक में फौरी आदेश देते हुए पाकिस्तान से मामले की सुनवाई पूरी होने तक जाधव की सज़ा पर रोक लगाने का आदेश दिया था. साथ ही वियना संधि के उल्लंघन मामले पर सुनवाई करने का भी फैसला किया था.
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