असम के वित्त मंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने कहा है कि केंद्र और असम सरकार विदेशियों को राज्य से बाहर निकालने के लिए नए तरीकों पर चर्चा कर रही हैं। मुझे नहीं लगता कि यह अंतिम सूची है, अभी और भी बहुत कुछ सामने आना बाकी है.
जिन लोगों के नाम NRC की फाइनल लिस्ट में नहीं हैं उन्हें घबराने की जरूरत नहीं है. उनके सामने अभी भी अपनी नागरिकता को सिद्ध करने का विकल्प है. ऐसे व्यक्ति जिनका नाम लिस्ट में नहीं है उन्हें फ़ॉरेन ट्रायब्यूनल में काग़ज़ों के साथ पेश होना होगा. इसके लिए उन्हें 120 दिन का समय दिया गया है.
असम सरकार ने कहा है कि अगर किसी का नाम एनआरसी से बाहर रह जाता है, तो इसका यह अर्थ नहीं है कि वह विदेशी बन गया है क्योंकि उचित कानूनी प्रक्रिया के बाद विदेशी न्यायाधिकरण (एफटी) ही इस संबंध में निर्णय ले सकता है.
मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने लोगों से कहा कि वे घबराएं नहीं. राज्य सरकार अपनी नागरिकता साबित करने में उन लोगों को मदद करने के लिए हरसंभव कदम उठाएगी जो वास्तव में भारतीय हैं. सोनोवाल ने इन लोगों को कानूनी सहायता मुहैया कराने का भी आश्वासन दिया है.
असम में एनआरसी की फाइनल लिस्ट जारी कर दी गई है. लिस्ट में 3 करोड़ 11 लाख 21 हजार 4 लोगों को शामिल किया गया है. वहीं 19 लाख 6 हजार 657 लोगों का नाम लिस्ट में नहीं है.
पार्श्वभूमी
गुवाहाटी: असम में एनआरसी की फाइनल लिस्ट जारी कर दी गई है. लिस्ट में 3 करोड़ 11 लाख 21 हजार 4 लोगों को शामिल किया गया है. वहीं 19 लाख 6 हजार 657 लोगों का नाम लिस्ट में नहीं है. सरकार ने कहा है कि अगर किसी का नाम एनआरसी से बाहर रह जाता है, तो इसका यह अर्थ नहीं है कि वह विदेशी बन गया है क्योंकि उचित कानूनी प्रक्रिया के बाद विदेशी न्यायाधिकरण (एफटी) ही इस संबंध में निर्णय ले सकता है. पल-पल की अपडेट के लिए बने रहें.
क्या है NRC
नेशनल रजिस्टर ऑफ़ सिटिज़ंस एक दस्तावेज है जो इस बात की शिनाख्त करता है कि कौन देश का वास्तविक नागरिक है और कौन देश में अवैध रूप से रह रहा हैं. यह शिनाख्त पहली बार साल 1951 में पंडित नेहरू की सरकार द्वारा असम के तत्कालीन मुख्यमंत्री गोपीनाथ बारदोलोई को शांत करने के लिए की गई थी. बारदोलाई विभाजन के बाद बड़ी संख्या में पूर्वी पाकिस्तान से भागकर आए बंगाली हिंदू शरणार्थियों को असम में बसाए जाने के खिलाफ थे.
अवैध प्रवासियों को राज्य से हटाने के लिए कांग्रेस की सरकार ने साल 2010 में एनआरसी को अपडेट करने की शुरुआत असम के दो जिलों से की. यह बारपेटा और कामरूप जिला था. हालांकि बारपेटा में हिंसक झड़प हुआ और यह प्रक्रिया ठप हो गई. पहली बार सुप्रीम कोर्ट इस प्रक्रिया में 2009 में शामिल हुआ और फिर 2014 में असम सरकार को एनआरसी को अपडेट करने की प्रक्रिया पूरी करने का आदेश दिया. इसके बाद साल 2015 में असम सरकार ने सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में एनआरसी का काम फिर से शुरू किया.