LIVE Updates: तीन तलाक बिल लोकसभा में पास, बिल के समर्थन में 303 और विरोध में 82 वोट पड़े
लोकसभा में तीन तलाक बिल पर वोटिंग हो चुकी है और तीन तलाक बिल लोकसभा में पास हो चुका है. बिल के समर्थन में 303 वोट पड़े और बिल के विरोध में 82 वोट पड़े.
तीन तलाक बिल ध्वनिमत से पारित हुआ आखिर में विपक्ष में पांच ही सदस्य बचे थे. लोकसभा में तीन तलाक बिल पर वोटिंग के दौरान कांग्रेस, डीएमके, सपा और बसपा के सदस्यों ने वॉकआउट किया. जब तीन तलाक़ के आरोपियों को तीन साल की सज़ा के प्रावधान वाला क्लॉज आया तब इन पार्टियों ने वाकआउट किया. उसके पहले जो वोटिंग हुई तब सभी मौजूद थे. हालांकि बिल पर वोटिंग के दौरान जब अलग अलग क्लॉज पर वोटिंग हो रही थी तब शुरुआत में कांग्रेस और डीएमके मौजूद थी लेकिन बाद में कांग्रेस और डीएमके ने बिल के विरोध में वोट किया. जब सबसे पहली बार मत विभाजन हुआ तब सरकार से 303 लोग बिल के साथ थे तो 82 लोगों ने विरोध में वोट किया. तृणमूल कांग्रेस ने वोटिंग शुरू होने के पहले ही वॉकआउट कर दिया था. हालांकि वाईएसआर कांग्रेस ने वाकआउट नहीं किया.
संसद के मौजूदा सत्र को 7 अगस्त 2019 तक बढ़ाने के लिए सदन में कहा गया जिसके बाद स्पीकर ओम बिरला ने इसका औपचारिक एलान किया कि संसद का मौजूदा सत्र 7 अगस्त तक के लिए बढ़ा दिया गया है.
रविशंकर प्रसाद ने कहा कि जो लोग मुस्लिम महिलाओं के हक की बात करते हैं वो बताएं कि कौन सा धर्म कहता है कि अपनी महिलाओं के साथ नाइंसाफी करो. उन्होंने अलग अलग धर्मों के मैरिज एक्ट का उदाहरण भी दिया. उन्होंने कहा कि पारसियों, हिंदू, क्रिश्चियन मैरिज एक्ट इन सभी में महिलाओं के हक को ऊपर रखा गया है.
कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद तीन तलाक बिल पर चर्चा का लोकसभा में जवाब दे रहे हैं. तीन तलाक बिल पर कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि मैं नरेंद्र मोदी सरकार में मंत्री हूं, राजीव गांधी सरकार में मंत्री नहीं हूं. ये सरकार काम करने वाली है. हिंदू मैरिज एक्ट में ये प्रावधान है कि यदि कोई हिंदू एक पत्नी के होते हुए दूसरी शादी करता है तो इसके लिए 7 साल की सजा मिल सकती है.
कांग्रेस ने आज तीन तलाक को निषेध करने वाले विधेयक को स्थायी समिति को भेजने की मांग की और दावा किया कि यह मुस्लिम समुदाय के निशाना बनाने का प्रयास है. लोकसभा में तीन तलाक बिल 2019’ पर चर्चा में भाग लेते हुए कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद ने विधेयक का विरोध किया और कहा कि इसे संसद की स्थायी समिति के पास भेजा जा चाहिए और पतियों से अलग रहने को मजबूर सभी धर्मों की महिलाओं के लिए एक कानून बनना चाहिए. उन्होंने इस विधेयक को संविधान के अनुच्छेद 14 के खिलाफ करार देते हुए दावा किया कि यह विधेयक मुसलमानों की बर्बादी के लिए लाया गया है.
एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने लोकसभा में तीन तलाक बिल का विरोध करते हुए कहा कि अगर शौहर तलाक देता है तो उसे मेहर की रकम का कई गुना बीवी को देना होता है और ये जन्म जन्म का साथ नहीं है बल्कि एक जन्म का कॉन्ट्रैक्ट है. इस्लाम में शादी एक कॉन्ट्रैक्ट है, इसे जन्म-जन्म का मसला मत बनाइये. ये सरकार उस वक्त कहां गई थी जब इनके एक मंत्री पर मीटू का इल्जाम लगा था. 23 लाख हिंदू महिलाएं अपने पति से अलग रह रही हैं और इनके लिए सरकार के पास कुछ नहीं है.
पार्श्वभूमी
नई दिल्ली: लोकसभा में आज एक बार फिर तीन तलाक बिल पेश होगा. इस पर दोपहर 12.15 बजे के आसपास चर्चा शुरू हो सकती है. बीजेपी ने सभी सांसदों को सदन में मौजूद रहने के लिए व्हिप जारी की है. इस बीच खबर है कि कांग्रेस ने तीन तलाक बिल का मौजूदा फॉर्मेट में विरोध करने का फैसला किया है. आरजेडी और एनसीपी भी बिल के खिलाफ हैं. बता दें कि कांग्रेस के विरोध का लोकसभा में तो मतलब नहीं है लेकिन राज्यसभा में फर्क पड़ता है. आरजेडी, एनसीपी ने भी तीन तलाक़ बिल का विरोध किया है. नीतीश के जेडीयू का रुख भी साफ नहीं है. हालांकि पुराना स्टैंड विरोध का ही है.
तीन तलाक बिल पर विपक्ष को क्या आपत्ति?
तीन तलाक बिल में क्रिमिनैलिटी क्लॉज यानी सजा विवादास्पद मुद्दा बना हुआ है. इसी के चलते यह बिल पिछली बार राज्यसभा में पास नहीं हो पाया था. विपक्षी दल बिल को हिंदू और ईसाई विवाह कानून में तलाक से जुड़े कानून की बराबरी में लाने के लिए इस क्लॉज को हटाए जाने की मांग कर रहे हैं. लोकसभा में कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और असदुद्दीन ओवैसी की समेत कई विपक्षी दल तीन तलाक पर बने कानून का विरोध करते आ रहे हैं. विपक्षी दलों का तर्क है कि पति के जेल जाने के बाद महिला के गुजारा भत्ता का क्या होगा?
तीन तलाक बिल पर अब तक क्या क्या हुआ?
बता दें कि सरकार पहली बार.... को पहली बार तीन तलाक बिल को लोकसभा में लेकर आई थी. बिल लोकसभा में दिसंबर 2018 में पास हो गया लेकिन राज्यसभा से बिल पास नही हो सका. इसके बाद सरकार तीन बार अध्यादेश ला चुकी है. अध्यादेश की उम्र सिर्फ 6 महीने के लिए ही होती है. आखिरी अध्यादेश 21 फरवरी 2019 को आया था. नरेंद्र मोदी सरकार ने मई में अपना दूसरा कार्यभार संभालने के बाद पहले सत्र में सबसे पहले विधेयक का मसौदा पेश किया था.
कई विपक्षी दलों ने इसका कड़ा विरोध किया है, लेकिन सरकार का यह कहना है कि यह विधेयक लैंगिक समानता और न्याय की दिशा में एक कदम है. बिल पेश करने से पहले लोकसभा में वोटिंग कराई गई, बिल पेश करने के पक्ष में 186 वोट और विपक्ष में 74 वोट पड़े. आज इस बिल पर लोकसभा में चर्चा होगी कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद आखिर में सवालों का जवाब देंगे. लोकसभा में पास होने बाद बिल राज्यसभा जाएगा.
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